योग >> योग साधना एवं योग चिकित्सा रहस्य योग साधना एवं योग चिकित्सा रहस्यस्वामी रामदेवजी
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योग एक पूर्ण विज्ञान है, एक पूर्ण जीवन-शैली है एवं एक पूर्ण अध्यात्म-विद्या है। योग की लोकप्रियता का रहस्य यह है कि यह लिंग, जाति, वर्ग, सम्प्रदाय, क्षेत्र एवं भाषा-भेद की संकीर्णताओं से कभी आबद्ध नहीं रहा है। साधक, चिन्तक, वैरागी, अभ्यासी, ब्रह्मचारी, गृहस्थ कोई भी इसका सान्निध्य प्राप्त कर लाभान्वित हो सकता है। व्यक्ति के उत्थान एवं निर्माण में ही नहीं, बल्कि परिवार, समाज, राष्ट्र और विश्व के चहुँमुखी विकास में भी यह उपयोगी सिद्ध हुआ है।
Yog Sadhana Evam Yog Chikitsa Rahasya-A Hindi Book by Swami Ramdev
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
समर्पण
त्वदीयं तुभ्यमेव
स्वामी रामदेव
प्रकाशकीय
योग एक पूर्ण विज्ञान है, एक पूर्ण जीवन-शैली है एवं एक पूर्ण अध्यात्म-विद्या है। योग की लोकप्रियता का रहस्य यह है कि यह लिंग, जाति, वर्ग, सम्प्रदाय, क्षेत्र एवं भाषा-भेद की संकीर्णताओं से कभी आबद्ध नहीं रहा है। साधक, चिन्तक, वैरागी, अभ्यासी, ब्रह्मचारी, गृहस्थ कोई भी इसका सान्निध्य प्राप्त कर लाभान्वित हो सकता है। व्यक्ति के उत्थान एवं निर्माण में ही नहीं, बल्कि परिवार, समाज, राष्ट्र और विश्व के चहुँमुखी विकास में भी यह उपयोगी सिद्ध हुआ है। आधुनिक मानव-समाज जिस तनाव, अशान्ति, आतंकवाद, अभाव एवं अज्ञान का शिकार है, उसका समाधान केवल योग के पास है। योग मनुष्य को सकारात्मक चिन्तन के प्रशस्त पथ पर लाने की एक अद्भुत विद्या है, जिसे करोड़ों वर्ष पूर्व भारत के प्रज्ञावान् ऋषि-मुनियों ने आविष्कृत किया था। महर्षि पतंजलि ने अष्टांग योग के रूप में इसे अनुशासनबद्ध, सम्पादित एवं निष्पादित किया। इसी अष्टांग योग का उपदेश और अभ्यास पूज्य स्वामीजी अपने प्रवचन एवं योग-प्रशिक्षण में करते-कराते हैं। उनका निष्कर्ष है कि स्वस्थ व्यक्ति और सुखी समाज का निर्माण केवल योग की शरण में जाकर ही हो सकता है।
योग केवल कन्दराओं में जीवन जीने वाले वैरागियें, तपस्वियों, एवं योगाभ्यासियों की विद्या नहीं है, बल्कि सामान्य गृहस्थ के लिए भी उसकी अतीव आवश्यकता है। यह कितना आश्चर्य का विषय है कि दो सौ वर्ष पुरानी ऐलोपैथी चिकित्सा-पद्धति में फँसकर हम अपना आर्थिक, शारीरिक एवं मानसिक शोषण कराने को तो सहज में तैयार हो जाते हैं, लेकिन करोड़ों वर्षों से भी पुरानी उस योगविद्या के प्रति उदासीन रहते हैं, अनभिज्ञ रहते हैं, जो एक प्रामाणिक ही नहीं, वरन् निःशुल्क चिकित्सा-पद्धति भी है।
यदि योग सिर्फ एक रहस्यमयी विद्या होती, तो योगिराज कृष्ण युद्धभूमि में इसका उपदेश अर्जुन को क्यों देते ? योगाचार्य स्वामी रामदेवजी ने गहन गुफाओं में दम तोड़ रही इस विद्या को भारतीय जनमानस में स्थापित करके महान् उपकार का कार्य सम्पादित किया है। अत: वे देश के नहीं, अपितु विश्व के करोड़ों लोगों की श्रद्धा एवं आस्था के केन्द्र हैं।
योग एवं आयुर्वेद-सहित प्राचीन अध्यात्म विद्या की शून्य से शिखर तक के आरोहण की यात्रा में सबका जो सहयोग मिला, उससे हम सहज ही उत्साहित और आश्वस्त हैं। आशा हैं, आपके निरन्तर सहयोग, सद्भाव श्रद्धा एवं समर्पण से देव-संस्कृति का अभियान निरन्तर उत्कर्ष की ओर गतिशील होता रहेगा।
अत्यल्प समय में ही इस ‘योग-साधना एवं योग- चिकित्सा रहस्य’ पुस्तक की बारह भाषाओं में लाखों की संख्या में छपना अपने आप में सुखद अनुभूति एवं संसार की आश्चर्यतम घटना या परमात्मा की लीला ही कही जा सकती है। पुनः प्रबुद्ध पाठकों का आभार एवं धन्यवाद करते हुए कहना चाहूँगा कि सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और सामाजिक जागरण के इस पुनीत अनुष्ठान में हमें आपका प्रेम एवं स्नेह उसी तरह सतत प्राप्त होता रहेगा, ऐसा हमें दृढ़ विश्वास है।
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